Varsha Singh

कवयित्री / शायरा डॉ. वर्षा सिंह

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गुरुवार, अप्रैल 30, 2020

दस दोहे... अभिनेता इरफ़ान ख़ान को श्रद्धांजलि स्वरूप... बॉलीवुड की शान थे, अभिनेता इरफान - डॉ वर्षा सिंह

 
Dr. Varsha Singh
बॉलीवुड के मशहूर एक्टर इरफान खान (Irrfan Khan) ने कल 29.04 2020 को 53 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया।
     इरफान खान भारतीय फिल्‍म अभिनेता थे और वे बॉलीवुड में अपने दमदार अभिनय के लिए जाने जाते थे । वे अपने हॉलीवुड फिल्‍मों में किए गए कामों की वजह से भी जाने जाते थे। उन्‍हें तीन बार फिल्‍मफेयर पुरस्‍कार और सर्वश्रेष्‍ठ अभिनेता के तौर पर फिल्‍म 'पान सिंह तोमर' के लिए राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार भी मिल चुका था ।उन्‍हें पद्मश्री सम्‍मान से भी नवाजा गया था। दर्शक ऐसा मानते हैं कि वे अपनी आंखों से ही पूरा अभिनय कर देते थे और यही उनकी विशेषता भी थी वे लीक से हटकर फिल्‍में करने की वजह से मशहूर थे।

    
       आज web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 30.04.2020 में प्रकाशित हुए हैं ... अपने अभिनय से दर्शकों का हृदय जीतने वाले अभिनेता स्व. इरफान खान, ( जिन्होंने कल दि. 29.04.2020 को अपनी अंतिम सांस ली) को समर्पित मेरे दस दोहे।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=30867

बॉलीवुड की शान थे, अभिनेता इरफान

- डॉ वर्षा सिंह

बॉलीवुड की शान थे, अभिनेता इरफान। तरह-तरह के रोल में, डाली हरदम जान।।

जयपुर में जन्में मगर, मुबंई पकड़ी राह।
दुख-सुख जो भी मिल गया, उससे किया निबाह।।

ड्रामा के स्कूल से, अभिनय सीखा खूब।
अभिनय-सागर में गए, तन,मन से वे डूब।।

सुतपा-सी अर्द्धांगिनी, बाबिल और अयान
अपने इस परिवार का, रखा सदा ही ध्यान।।

चाहे हो 'मकबूल' या 'नेमसेक' या 'रोग'।
धारावाहिक से रहा, फिल्मों तक का योग।।
         
हिंदी, अंग्रेजी सभी, फिल्में की भरपूर।
असमय ही इरफान पर, समय हो गया क्रूर।।

मां के अंतिम दरस भी, मिल ना पाए हाय।
पीड़ा ऐसी थी बड़ी, जो ना हृदय समाय।।

बीमारी हंस कर सही, सह न सके वियोग।
मां जन्नत को जो गईं, बेटे को था सोग।।

सिने जगत स्तब्ध है, बिलख उठे हैं फैन।
स्मृतियां जब कौंधतीं,भर-भर आते नैन।।

 "वर्षा" "इरफू" ने किया, सदा दिलों पर  राज।
याद रखेगा "खान" को, दर्शक सकल समाज।।
             ------------


#इरफ़ान_खान #IrfaanKhan #श्रद्धांजलि #दोहा #युवाप्रवर्तक #Varsha_Singh
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गुरुवार, अप्रैल 23, 2020

📖 विश्व पुस्तक दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं 📚 - डॉ. वर्षा सिंह

   
Dr. Varsha Singh
     
         आज विश्व पुस्तक दिवस (23 अप्रैल) पर "नवदुनिया" सागर संस्करण में मेरे यानी इस ब्लॉग की लेखिका डॉ. वर्षा सिंह के विचारों को स्थान मिला है। 📖
हार्दिक आभार "नवदुनिया" 🙏💐
मित्रों, इस विशेष फीचर के कुल तीन सहभागियों में मेरे साथ मेरी बहन डॉ. (सुश्री) शरद सिंह एवं डॉ. आशुतोष मिश्रा के विचार भी प्रकाशित हुए हैं।📚
   कृपया पढ़ें और प्रतिक्रिया से अवगत करायें 🙏
आप सभी को विश्व पुस्तक दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं 🙏💐 📚📙📔📖

मेरे विचार ...
       *किताबें मेरी सबसे अच्छी मित्र*
            - डॉ. वर्षा सिंह, वरिष्ठ कवयित्री

लगती भले हों पहेली किताबें  ।
बनती हैं हरदम सहेली किताबें।
चाहे ये दुनिया अगर रूठ जाये
नहीं रूठती इक अकेली किताबें।
      मेरी ये काव्य पंक्तियां किताबों के प्रति मेरी सहज अभिव्यक्ति है। जी हां, किताबें बचपन से ही मेरी मित्र रही हैं। पहले पंचतंत्र और जातक कथाओं सरीखी किताबें, फिर क्रमशः अनेक कविता, कथा, उपन्यास, एकांकी, नाटक से भरपूर किताबें... ज़िन्दगी का शायद ही कोई दिन ऐसा रहा हो जब मैंने किसी किताब को हाथ नहीं लगाया हो। यानी हर दिन किताबों का साथ।
       ढेरों ढेर किताबों में वह किताब जिसके लिए मैं यह कह सकती हूं कि यह हमेशा मेरे दिल के बहुत क़रीब रही और जिसने मेरी ज़िन्दगी को दिशा देने में अहम भूमिका निभाई... वह है "अज्ञेय" का उपन्यास "अपने-अपने अजनबी"। यह वैयक्तिक यथार्थबोध पर आधारित उपन्यास है। आधुनिक युग में सबसे बड़ी विड़म्बना यह है कि हम साथ होते हुए भी आतंरिक रूप से बहुत अकेले होते हैं। करीब रहकर भी एक-दूसरे को समझ नहीं पाते हैं, एक-दूसरे के लिए अजनबी बने रहते हैं। 80 के दशक में इसे पढ़ने-समझने के बाद मेरा समूचा व्यक्तित्व अंतर्मुखी से बाह्यमुखी हो गया।

Happy World Book Day

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बुधवार, अप्रैल 22, 2020

🌎 पृथ्वी दिवस यानी Earth Day पर 🌍 शुभकामनाएं 🌏

Dr. Varsha Singh

      आज Earth Day है  🌏
      ... और अपनी इस 'Earth' पर कोरोना वायरस के 'अनर्थ' के बादल छाए हुए हैं। तो आईए हम संकल्प लें कि लॉकडाउन के नियमों का पालन कर हम बचे रहेंगे और पर्यावरण संरक्षण नियमों का पालन कर बचाए रहेंगे अपनी धरती यानी Mother Earth को 😊
अर्थ डे यानी पृथ्वी दिवस एक वार्षिक इवेंट है जिसे दुनियाभर में आज यानी की 22 अप्रैल को पर्यावरण संरक्षण के लिए मनाया जाता है. इसे पहली बार साल 1970 में मनाया गया था. इस साल पृथ्वी दिवस के 50 साल पूरे हो रहे हैं जहां इसका थीम 'क्लाइमेट एक्शन' रखा गया है. पर्यावरण की सुरक्षा के लिए "पृथ्वी दिवस या अर्थ डे" मनाया जाता है. इस आंदोलन को यह नाम जुलियन कोनिग द्वारा सन् 1969 को दिया था. इसके साथ ही इसे सेलिब्रेट करने के लिए अप्रैल की 22 तारीख चुनी गई.
       इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को पृथ्वी और पर्यावरण के संरक्षण हेतु जागरूक करना है। आधुनिक काल में जिस तरह से मृदा अपरदन हो रहा है, ग्लेशियर पिघल रहे हैं, ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रहा है और प्रदूषण फ़ैल रहा है, इनसे पृथ्वी का ह्वास हो रहा है। ऐसी स्थति में पृथ्वी की गुणवत्ता, उर्वरकता और महत्ता को बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण और पृथ्वी को सुरक्षित रखने की जरूरत है। इन महत्वकांक्षी उद्देश्यों को पूरा करने हेतु हर साल 22 अप्रैल पृथ्वी दिवस मनाया जाता है।
 


Earth Day 22 April 2020


          इस वर्ष वर्तमान समय में कोरोना वायरस  के चलते पूरे देश में लॉकडाउन है। हम सभी जानते हैं कि लॉकडाउन का अर्थ है तालाबंदी । लॉकडाउन एक आपातकालीन व्यवस्था है जो किसी आपदा या महामारी के वक्त लागू की जाती है। जिस इलाके में लॉकडाउन किया गया है उस क्षेत्र के लोगों को घरों से बाहर निकलने की अनुमति नहीं होती है। उन्हें सिर्फ दवा और खाने-पीने जैसी जरूरी चीजों की खरीदारी के लिए ही बाहर आने की इजाजत मिलती है, इस दौरान वे बैंक से पैसे निकालने भी जा सकते हैं.जिस तरह किसी संस्थान या फैक्ट्री को बंद किया जाता है और वहां तालाबंदी हो जाती है उसी तरह लॉक डाउन का अर्थ है कि आप अनावश्यक कार्य के लिए सड़कों पर ना निकलें। अगर लॉकडाउन की वजह से किसी तरह की परेशानी हो तो आप संबंधित पुलिस थाने, जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक अथवा अन्य उच्च अधिकारी को फोन कर सकते हैं। लॉकडाउन जनता की सहूलियत और सुरक्षा के लिए किया जाता है.सभी प्राइवेट और कॉन्ट्रेक्ट वाले दफ्तर बंद रहते हैं, सरकारी दफ्तर जो जरूरी श्रेणी में नहीं आते, वो भी बंद रहते हैं।
       लॉकडाउन कोरोना की जंग से जीतने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए भी काफी अहम साबित हो रहा है। इन दिनों हवा एकदम साफ हो गई है, लॉकडाउन खुलने के बाद भी इस समय का अध्ययन भविष्य में प्रदूषण नियंत्रण की राह तैयार करेगा। करीब तीन सप्ताह से चल रहे लॉकडाउन से समूची पृथ्वी पर पर्यावरण में व्यापक स्तर पर बदलाव देखने को मिला है। पेट्रोल और डीजल चालित वाहन बंद होने से हवा की गुणवत्ता ही नहीं सुधरी बल्कि औद्योगिक इकाइयां बंद होने से नदियों के पानी भी काफी साफ दिखाई दे रहा है। हर स्तर के आयोजन बंद होने और जनता के भी घरों में ही रहने के कारण ध्वनि प्रदूषण के स्तर तक में खासी गिरावट दर्ज की गई है। इस बदलाव पर तमाम अध्ययन भी किए जा रहे हैं।
    पृथ्वी दिवस पर यह तथ्य विचारणीय है कि भविष्य में हमें पृथ्वी पर प्रदूषण रोकने की दिशा में सार्थक कार्य करने होंगे।

Earth Day

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रविवार, अप्रैल 19, 2020

नवदुनिया तस्वीर पहेली- पहचानिए तस्वीर - डाॅ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

       प्रिय मित्रों, मेरा नाम आज सही जवाब देने वालों में छपा है। दरअसल "नवदुनिया", सागर संस्करण द्वारा लॉकडाउन के इस कठिन समय को सहज बनाने के उद्देश्य से पाठकों से प्रतिदिन एक रोचक तस्वीर पहेली पूछी जा रही है। इसमें सागर शहर के किसी एक स्थान की तस्वीर प्रकाशित की जाती है और पूछा जाता है कि यह यह किस स्थान पर स्थित है। कल पूछी गई पहेली में मेरा जवाब सही जवाबों में चुना गया है।
तो मुझे दीजिए बधाई... 😊💐
और मैं दे रही हूं नवदुनिया को हार्दिक धन्यवाद ! 😊🙏





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बुधवार, अप्रैल 15, 2020

लॉकडाउन 2.0 संदर्भित बुंदेली ग़ज़ल....नासमिटे जे कोरोना की - डॉ. वर्षा सिंह

 
Dr. Varsha Singh
       
           लॉकडाउन 2.0 फ़िलहाल 3 मई तक ज़ारी रहेगा। माननीय पीएम ने हमारी सुरक्षा के लिए हमसे सात वचन मांगे हैं जिन्हें पूरा करके हम कोरोना को मात दे सकते हैं। इसी विषय पर प्रस्तुत है मेरी यह बुंदेली ग़ज़ल...

*बुंदेली ग़ज़ल*
*नासमिटे जे कोरोना की*
             - डॉ. वर्षा सिंह
तीन पांच लों लॉकडाउन है, तीन पांच ने करियो।
तारा डारे हम घर बैठे, तुम अपने घर  रहियो।

दूरी खों मतलब हम खों जे डिस्टेंसिंग है रखने,
हाल तुमाओ का कैसो है, मोबाइल पे कहियो।

नासमिटे जे कोरोना की, बड़ो दोंदरा दै रऔ,
धूल चटा देबी ससरे खों, तनक धीर तो धरियो।

पुलिस, कलक्टर संगे हमरे, संगे पीएम, सीएम,
सात बचन खों पालन करबै में तनकऊ ने डरियो।

मोड़ा-मोड़ी घरे राखियो, जान कहूं ने दईयो,
दद्दा, अम्मा, मम्मा, फूफा ध्यान सबई खों रखियो।

ढाल बने से खड़े वारियर, देत सुरक्छा हमखों,
उन ओरन की सच्चे मन से जयकारे सब करियो।

"वर्षा सिंह" की जेई अरज है कोऊ रहे ने भूखो,
अपनी थारी,अपनी रोटी सबसे साझा करियो।
                ----------------


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रविवार, अप्रैल 12, 2020

लॉकडाउन संदर्भित बुंदेली गीत ... समझो भैया, कछू तो समझो - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

           21 दिन वाले लॉकडाउन के 19 वें दिन आज यह कयास लगाया जा रहा है कि लॉकडाउन की अवधि आगे बढ़ाई जा सकती है... इसके कारण की पड़ताल करते हुए मेरी यह बुंदेली रचना पर भी कृपया गौर फरमाएं....

समझो भैया, कछू तो समझो
       - डॉ. वर्षा सिंह

ई परमेसुर घुमाघुमाई
लाकडाउन ईने बढ़वाई
खूबई सबने भीड़ लगाई
तनकउ बात समझ ने आई

हमने कई थी घरई में रहियो
कहूं बाहरे अबै ने जइयो
काज उपद्री कछु ने करियो
दूरी बना-बना के रखियो
तनक ने छोड़ी ढीठ-ढिठाई
तनकउ बात समझ ने आई

मास्क पहरबे में सरमाये
खुद बहके सबको बहकाये
अब देखो, जो भओ नतीजो
कोरोना के फेर में आये
अब काहे खों देत दुहाई
तनकउ बात समझ ने आई

मोदी जी की बात ने मानी
कर लई खूबई जे मनमानी
मम्मा जू शिवराज की बतियां
हंसी-ठिठोली में बिसरानी
मरघट खों अब भई बिदाई
तनकउ बात समझ ने आई

"वर्षा" ने भी समझा लओ है
हाथ जोड़ सबरो कै दओ है
समझो भैया, कछू तो समझो
जी खों टंटा, रोग नओ है
तुमे समझ में काए ने आई
तनकउ बात समझ ने आई

           ---------------------

मेरी यह ताज़ा बुंदेली रचना आज web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 12.04.2020 में  प्रकाशित हुई है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=28886



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शनिवार, अप्रैल 11, 2020

लॉकडाउन संदर्भित बुंदेली गीत ... बाहर कहूं ने जइयो - डॉ. वर्षा सिंह

 
Dr. Varsha Singh

  टोटल लॉकडाउन के दौरान सागर नगर  में भी कल दिनांक 10.04.2020 को कोरोना वायरस संक्रमण का पहला पॉज़ीटिव केस मिलने संदर्भित समाचार पर बुंदेली बोली में मेरी गीतात्मक अभिव्यक्ति ...

बाहर कहूं ने जइयो
        - डॉ. वर्षा सिंह

घर के भीतर रहियो
बाहर कहूं ने जइयो
कोरोना बैरी हत्यारो
औरन को समझइयो

इते सागरे आओ करोना
कृष्णगंज थो अड्डा
शनीचरी भई क्वारैंटाइन
लगे बजरिया तिगड्डा
हिम्मत राखे रहियो
बाहर कहूं ने जइयो

डिस्टेंसिंग ने राखी देखो
जो परिणाम भओ है
सागर पूरो लॉकडाउन है
मुस्किल में पर गओ है
सम्हर तनक तो जइयो
बाहर कहूं ने जइयो

लॉकडाउन को मतलब समझो
नांय, मांय की छोड़ो
दूरई-दूर निभाओ रिस्ता
जी से नाता जोड़ो
भागमभाग ने करियो
बाहर कहूं ने जइयो

अपनो सागर न्यारो सागर
काज नियम से करियो
दूर राखने हमें करोना
गांठ बांध जा लइयो
"वर्षा"- बिनती सुनियो
बाहर कहूं ने जइयो

      ---------------------



जी हां, मेरी यह ताज़ा बुंदेली रचना आज web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 11.04.2020 में  प्रकाशित हुई है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=28791






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बुधवार, अप्रैल 08, 2020

लॉकडाउन में घर में ही रहें - डॉ. विद्यावती "मालविका".... प्रस्तुति डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

       "कोरोना लॉकडाउन और हम" के अंतर्गत web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 08 अप्रैल 2020 में मेरी माता जी डॉ. विद्यावती सिंह "मालविका" के विचार प्रकाशित किए गए हैं।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=28459

डॉ. विद्यावती "मालविका"


लॉकडाउन में घर में ही रहें
    - डॉ. विद्यावती "मालविका"
    वरिष्ठ साहित्यकार, सागर

    मेरे जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव आए। मुझे अनेक प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा लेकिन मैंने अपनी 90 वर्ष की आयु में पहली बार ऐसी तालाबंदी देखी है। ब्रिटिश काल में तो कई बार कर्फ्यू की स्थिति बन जाती थी और इसी प्रकार दंगे फसाद के समय भी कर्फ्यू लगाया जाता था लेकिन लॉकडाउन मैंने अपने जीवन में पहली बार देखा है, जब मंदिर के पट भी बंद हैं और अस्पतालों में ओपीडी भी बंद कर दी गई है। पहले जब कर्फ्यू लगाया जाता था तो उस कर्फ्यू के नियमों को तोड़ने वालों पर पुलिस के डंडे चलते थे या उन्हें जेल भेज दिया जाता था, लेकिन आज पुलिसकर्मी अपनी जान जोखिम में डाल कर लॉकडाउन के नियमों का पालन करा रहे हैं। यदि हम नियमों का पालन नहीं करेंगे, सोशल डिस्टेंसिंग नहीं बनाएंगे  तो हम अपने स्वास्थ्य से ही नहीं बल्कि अपने परिवार के, अपने पड़ोसियों के, अपने देशवासियों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाएंगे। यह जीवन और मृत्यु का सवाल है अतः हमें इसे गंभीरता से लेना होगा। कोरोना वायरस को किसी भी हाल में और फैलने नहीं देना है।
     मेरी दोनों बेटियां - बड़ी बेटी डॉ. वर्षा सिंह और छोटी बेटी डॉ. शरद सिंह पहले की तरह मेरा बहुत ख़याल रखती हैं। मुझे चिंतामुक्त रखने के लिए कोरोना से संबंधित अपडेट्स बताती रहती हैं। वे दोनों लॉकडाउन का कड़ाई से पालन कर रही हैं। इसे देख कर मेरी चिंता यूं भी कम हो जाती है । इन दिनों मैं दूरदर्शन पर रामायण और महाभारत देख रही हूं। इन्हें फिर से देखना सुखद लग रहा है। हमारी कॉलोनी में शांति रहती है। इसका तो नाम ही है शांति विहार कॉलोनी।
     देश में लॉकडाउन पहली बार किया गया है तो  ऐसा संकट भी तो पहली बार आया है। कोरोना वायरस का असर इतना भीषण है कि पूरा देश, पूरी मानव जाति संकट में आ गई है। इस संकट से उबरने के लिए हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का आह्वान किया था लेकिन दुख है कि लोगों ने उसका ढंग से पालन नहीं किया। जबकि मोदी जी ने हम सभी भारतीय जनता की भलाई के लिए ही जनता कर्फ्यू लगवाया था और अब यह लॉकडाउन लगाया है। कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए अत्यधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है। कोरोना वायरस से सम्बन्धित लक्षण यदि किसी भी व्यक्ति में पाए जाते है तो उसे तुरंत नजदीकी हस्पताल में ले जाएं।
     प्रशासन बहुत ठीक कर रही है। प्रशासन की तरह मेरा भी सबसे अनुरोध है कि प्रतिदिन घर में रह कर पूजा-पाठ करें। घर से बाहर बिलकुल नहीं निकलें। ईश्वर तो कण-कण में विराजमान हैं। उनकी पूजा के लिए मंदिर जाना ज़रूरी नहीं है।  ईश्वर भक्ति से प्रसन्न होता है, जोकि घर में रह कर भी उतनी ही श्रद्धा से की जा सकती है। घर में रहें और प्रार्थना करें कि दुनिया में सभी मनुष्य स्वस्थ-प्रसन्न रहें। यह मानें कि ईश्वर हमारी परीक्षा ले रहा है और हमें इस परीक्षा में उत्तीर्ण होना ही है।
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#युवाप्रवर्तक
#लॉकडाउन #कोरोना
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मंगलवार, अप्रैल 07, 2020

🚩श्री हनुमान जयंती पर हार्दिक शुभकामनाएं 🚩- डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र शुक्‍ल पूर्णिमा को श्री हनुमान जयंती मनाई जाती है। तो कोरोना वायरस संक्रमण के कारण लगाए गए लॉकडाउन की इस आपदा की घड़ियों में हम सब संकटमोचन श्री हनुमान जी का नाम लेकर पाठ करें...

🚩हनुमानाष्टक🚩

बाल समय रबि भक्षि लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारो ।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो ॥
देवन आन करि बिनती तब, छांड़ि दियो रबि कष्ट निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ 1 ॥ 🚩

बालि की त्रास कपीस बसै गिरि,जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महा मुनि शाप दिया तब,चाहिय कौन बिचार बिचारो ॥
के द्विज रूप लिवाय महाप्रभु,सो तुम दास के शोक निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥2॥ 🚩

अंगद के संग लेन गये सिय,खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु,बिना सुधि लाय इहाँ पगु धारो ॥
हेरि थके तट सिंधु सबै तब,लाय सिया-सुधि प्राण उबारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥3॥ 🚩

रावन त्रास दई सिय को सब,राक्षसि सों कहि शोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु,जाय महा रजनीचर मारो ॥
चाहत सीय अशोक सों आगि सु,दै प्रभु मुद्रिका शोक निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥4॥ 🚩

बाण लग्यो उर लछिमन के तब,प्राण तजे सुत रावण मारो ।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत,तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ॥
आनि सजीवन हाथ दई तब,लछिमन के तुम प्राण उबारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥5॥ 🚩

रावण युद्ध अजान कियो तब,नाग कि फांस सबै सिर डारो ।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,मोह भयोयह संकट भारो ॥
आनि खगेस तबै हनुमान जु,बंधन काटि सुत्रास निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥6॥ 🚩

बंधु समेत जबै अहिरावन,लै रघुनाथ पाताल सिधारो ।
देबिहिं पूजि भली बिधि सों बलि,देउ सबै मिति मंत्र बिचारो ॥
जाय सहाय भयो तब ही,अहिरावण सैन्य समेत सँहारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥7॥ 🚩

काज किये बड़ देवन के तुम,वीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को,जो तुमसों नहिं जात है टारो ॥
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,जो कछु संकट होय हमारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥8॥ 🚩

दोहा : 🚩 ॥लाल देह लाली लसे,अरू धरि लाल लंगूर । 🚩
बज्र देह दानव दलन,जय जय जय कपि सूर ॥ 🚩

🚩॥ इति संकटमोचन हनुमानाष्टक सम्पूर्ण ॥🚩

🚩 जय हनुमान 🚩


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रविवार, अप्रैल 05, 2020

तमसो मा ज्योतिर्गमय -डॉ. वर्षा सिंह

तमसो मा ज्योतिर्गमय ....
आज 5 अप्रैल रविवार रात 9 बजे पूरे देश के साथ मैंने भी अपने घर की बालकनी पर एक दीप जलाया।
🇮🇳 मेरा भारत, स्वस्थ भारत 🇮🇳

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5 अप्रैल 2020 को रात्रि 9 बजे 9 मिनट दीप जलाने संदर्भित अवसर पर विशेष बुंदेली गीत .... दीपक एक जलइयो -डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

           सबई भारतवासियन खों अपने प्रधानमंत्री मोदी जी के संदेस खों पालन करबे के लाने आज 5 तारिख खों रात 9 बजे 9 मिनट तक घर की सबई बत्ती बुझा के दीपक जलाने है सो बुंदेली बोली में हमाई बी जा बिनती सुन ल्यो...

बुंदेली गीत

   दीपक एक जलइयो
        -डॉ. वर्षा सिंह

दीपक एक जलइयो, ओ भैय्या !
दीपक एक जलइयो ।।

अंधियारो डर-भय को फैलो
कर रऔ मन को हुन्ना मैलो
तनकऊ ने घबरइयो, ओ बिन्ना !
दीपक एक जलइयो ।।

आज इतवारे नौ जब बजहें
सबई मिल के जोत जलैहें
एकजुटता दिखलइयो, ओ गुंइयां !
दीपक एक जलइयो ।।

पास न कोनऊ के तुम जइयो
दूरई- दूर से जै-जै करियो
कोरोना खों हरइयो, ओ कक्का !
दीपक एक जलइयो ।।

को का कै रौ, कान ने दइयो
तालाबंदी सफल बनइयो
बाहर कहुं ने जइयो, ओ भौजी !
दीपक एक जलइयो ।।

मोदीजी की बातें ग्यानी
"वर्षा" ने सब दिल से मानी
समझो उर समझइयो, ओ दद्दा !
दीपक एक जलइयो ।।

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लॉकडाउन के इस कठिन समय में हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा आज रात्रि में 9 बजे दीपक, मोमबत्ती आदि का प्रकाश करने हेतु जो आह्वान किया गया है, उस पर केंद्रित मेरा एक बुंदेली गीत आज web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 05.04.2020 में प्रकाशित हुआ है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं 
http://yuvapravartak.com/?p=28101


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गुरुवार, अप्रैल 02, 2020

🚩🏹🙏श्री रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏹🚩- डॉ. वर्षा सिंह


Dr. Varsha Singh

🙏श्री रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏹🚩

🚩नमामि भक्त वत्सलं। कृपालु शील कोमलं।।
भजामि ते पदांबुजं। अकामिनां स्वधामदं।।
निकाम श्याम सुंदरं। भवाम्बुनाथ मंदरं।।
प्रफुल्ल कंज लोचनं। मदादि दोष मोचनं।।
प्रलंब बाहु विक्रमं। प्रभोऽप्रमेय वैभवं।।
निषंग चाप सायकं। धरं त्रिलोक नायकं।।
दिनेश वंश मंडनं। महेश चाप खंडनं।।
मुनींद्र संत रंजनं। सुरारि वृंद भंजनं।।
मनोज वैरि वंदितं। अजादि देव सेवितं।।
विशुद्ध बोध विग्रहं। समस्त दूषणापहं।।
नमामि इंदिरा पतिं। सुखाकरं सतां गतिं।।
भजे सशक्ति सानुजं। शची पतिं प्रियानुजं।।
त्वदंघ्रि मूल ये नराः। भजंति हीन मत्सरा।।
पतंति नो भवार्णवे। वितर्क वीचि संकुले।।
विविक्त वासिनः सदा। भजंति मुक्तये मुदा।।
निरस्य इंद्रियादिकं। प्रयांति ते गतिं स्वकं।।
तमेकमभ्दुतं प्रभुं। निरीहमीश्वरं विभुं।।
जगद्गुरुं च शाश्वतं। तुरीयमेव केवलं।।
भजामि भाव वल्लभं। कुयोगिनां सुदुर्लभं।।
स्वभक्त कल्प पादपं। समं सुसेव्यमन्वहं।।
अनूप रूप भूपतिं। नतोऽहमुर्विजा पतिं।।
प्रसीद मे नमामि ते। पदाब्ज भक्ति देहि मे।।
पठंति ये स्तवं इदं। नरादरेण ते पदं।।
व्रजंति नात्र संशयं। त्वदीय भक्ति संयुता।।🚩🏹🙏

Jai Shri Ram Darbar



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बुधवार, अप्रैल 01, 2020

लॉकडाउन के अनुभवों से सीख लें - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

लॉकडाउन के अनुभवों से सीख लें
             - डॉ. वर्षा सिंह

     कुछ दिनों से मेरे घर में गौरैया चिड़िया ने नल की पाईपलाईनों के बीच एक घोंसला बनाया हुआ है। लॉकडाउन से पहले अपने कामों की व्यस्तता के कारण इस ओर मेरा ख़ास ध्यान गया ही नहीं था। अब जबकि लॉकडाउन के चलते लगातार चौबीसों घंटे  पिछले एक सप्ताह से मैं अपने घर पर ही  हूं तो सुन रही हूं गौरैया के नन्हें बच्चों की वे आवाजें जो दिन भर पूरे घर में गूंजती रहती हैं।
  हां बहुत सी ऐसी चीजें है जिनका एहसास हम घर से बाहर रहकर कर ही नहीं पाते हैं। यह जरूर है कि लॉकडाउन की स्थिति में हमें लगातार घर में रहने के लिए विवश होना पड़ा है और यह लॉकडाउन भी कोरोना वायरस के संक्रमण की विभीषिका से बचाने के लिए लागू किया गया है किंतु हर एक लाभप्रद बात के पीछे अनेक पॉजिटिव बातें भी निहित होती हैं। यदि घर से बाहर नहीं जा पाने को माइनस प्वाइंट मानें तो लॉकडाउन का प्लस प्वाइंट यह है कि घर में रहकर हम घर में होने वाली उन चीजों को भी अब जान रहे हैं जिन्हें जानने की फुर्सत हमें पहले कभी नहीं मिल पाई है।     
           जहां तक लॉकडाउन की स्थिति में समय व्यतीत करने का प्रश्न है तो महिलाओं के पास कार्यों की कमी कभी नहीं रहती है । सुबह उठने से लेकर रात को बिस्तर पर जाने के बीच कितने छोटे-बड़े काम महिलाओं के जिम्मे सुपुर्द रहते हैं कि उन्हें करते - याद रखते हुए ही पूरा दिन व्यतीत हो जाता है । अब जबकि बाहरी कार्य जैसे कहीं आना-जाना किसी से मिलना-जुलना, अन्य सामाजिक कार्यों की व्यस्तताएं बिल्कुल भी नहीं हैं, किसी किस्म के साहित्यिक आयोजन भी नहीं हो रहे हैं तो मैं घर में रहकर उन कामों की ओर स्वयं को केंद्रित कर रही हूं जिन्हें करने की इच्छा होने के बावजूद मैं कर नहीं पाई थी। इन कामों की सूची में सबसे पहला काम मम्मी यानी मेरी माता जी के पास बैठकर उनकी बातें सुनना भी शामिल है । घर के बड़े बुजुर्ग कई दफा हमें आवाज़ देते हैं, वे अपनी कोई बात कहना चाहते हैं लेकिन समय के अभाव में ठीक उसी वक्त हम उन पर ध्यान नहीं दे पाते हैं, उनका कहा सुन नहीं पाते हैं । बाद में जब हम फुर्सत में हो कर उनकी बात सुनने जाते हैं तब तक वे भूल चुके होते हैं कि वे क्या कहना चाह रहे थे और यहां-वहां की छोटी-मोटी बात होकर रह जाती है। वे अपने मन की बात जस की तस कर ही नहीं पाते । लॉकडाउन के दौरान मैंने महसूस किया कि माता-पिता के प्रति बच्चे अपना दायित्व तभी अच्छी तरह निभा सकते हैं जब किसी एक दिन वे पूरी तरह माता-पिता की सेवा में व्यतीत करें, उनकी बातें सुनें। अब जबकि लॉकडाउन की स्थिति है तो तत्काल ही उनकी वे सभी बातें सुनकर हम उनके मन को संतुष्ट रहे हैं, जिनका एहसास हम घर से बाहर रहकर कर ही नहीं पाते हैं।
      तो मुझे लगता है कि भविष्य में आने वाले दिनों में जब लॉकडाउन की स्थिति समाप्त हो जाएगी और हम पुनः सामान्य जीवन के दैनिक कार्य करने लगेंगे तब उस वक्त इस लॉकडाउन के अनुभवों से सीख ले कर सप्ताह में कोई एक दिन हम ऐसा चुने जिसमें हम अधिक से अधिक समय अपने घर के बुजुर्गों के साथ पूरी तरह समर्पित भाव से व्यतीत करें। इस तरह घर के बुजुर्गों को भी आत्मसुख का अनुभव करा सकते हैं और स्वयं भी आत्मसंतुष्टि पा सकते हैं।
   जहां तक प्रशासन की बात है तो लॉकडाउन में कम से कम मुझे तो इस बात की पूरी तरह संतुष्टि है कि मेरे शहर सागर का प्रशासन बहुत चुस्त है। पूरी तरह समर्पण भाव के साथ हमारी जिले के अधिकारी, पुलिस विभाग और प्रशासन के साथ समाजसेवी, पत्रकार सभी जागरूकता से सेवा कार्यों में लगे हैं। ज़िला प्रशासन का जिम्मा जिला कलेक्टर प्रीति मैथिल नायक के पास है जो एक महिला हो कर पूरी तत्परता के साथ मैदानी निरीक्षण -परीक्षण कर जनता को हर प्रकार की हर संभव सुविधाएं, मदद आदि उपलब्ध कराने के लिए तत्परता से कार्य कर रही हैं। इसी प्रकार पुलिस विभाग में कार्यरत समस्त स्टाफ हर समय लॉकडाउन में अपने घरों में बंद नागरिकों की सुरक्षा-सुविधा के प्रति जागरूकता के साथ अपने कर्तव्य का पालन कर रहा है। माननीय प्रधानमंत्री जी ने कोरोना संक्रमण से सुरक्षित रखने का जो लॉकडाउन का क़दम उठाया है, वह वास्तव में स्तुत्य है। इस तरह का कदम हमारे देश के सुरक्षा के लिए अत्यंत जरुरी है ।
     तो आइए हम सभी मिल जुलकर लॉकडाउन के शेष बचे हुए दिनों में निर्धारित नियमों का पूरी आस्था के साथ पालन करें ताकि हम, हमारा परिवार, समाज, देश और साथ ही संपूर्ण विश्व सुरक्षित रह कोरोना वायरस की इस संक्रमणकारी आपदा से मुक्ति पा सके।
                              -----------

       "कोरोना लॉकडाउन और हम" के अंतर्गत web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 31 मार्च 2020 में मेरे विचार प्रकाशित किए गए हैं।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=27586




Dr Varsha Singh पर 3:26 am 2 टिप्‍पणियां:
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