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शनिवार, दिसंबर 22, 2018

इन दिनों .... डॉ. वर्षा सिंह


इन दिनों
उमड़े हैं बादल इश्क़ के
हो रही है शायरी की "वर्षा".
.... और
भीगे हुए तन-मन में
जागी है सिर्फ़ एक उम्मीद
सिर्फ़ एक आशा.

कि छू लूं हंसी
चूम लूं ख़ुशी
.... और
पढ़ लूं तुम्हारे मन की भाषा.
        - डॉ. वर्षा सिंह

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