लगती भले हों पहेली किताबें ।
बनती हैं हरदम सहेली किताबें।
बनती हैं हरदम सहेली किताबें।
भले हों पुरानी कितनी भी लेकिन
रहती हमेशा नवेली किताबें।
रहती हमेशा नवेली किताबें।
देती हैं भाषा की झप्पी निराली
अंग्रेजी, हिन्दी, बुंदेली किताबें।
अंग्रेजी, हिन्दी, बुंदेली किताबें।
चाहे ये दुनिया अगर रूठ जाये
नहीं रूठती इक अकेली किताबें।
नहीं रूठती इक अकेली किताबें।
शब्दों की ख़ुशबू से तर-ब-तर सी
महकाती "वर्षा", हथेली किताबें।
महकाती "वर्षा", हथेली किताबें।
📚📖 - डॉ. वर्षा सिंह
#ग़ज़लवर्षा
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