Dr. Varsha Singh |
बादलों को देख कर
याद आ जाते हैं
कालिदास और ....
उनकी कालजयी रचना
मेघदूतम् ।
चिट्ठियां तब भी नहीं लिखी गई
चिट्ठियां अब भी नहीं लिखी किसी ने
बादलों से कहलवाए गए संदेश तब ।
और अब
मोबाईल टॉवरों के जरिए
भेजे और पाए गए संदेश
समय बदल गया
नहीं बदले बादल
और नहीं बदली भावनाएं
प्रेम
मिलन
विछोह
बादल कल भी थे , बादल आज भी हैं
भावनाएं कल भी थीं, भावनाएं आज भी हैं।
- डॉ. वर्षा सिंह
Photo by Dr. Varsha Singh |
#Clouds
#ilovephotography
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