यह नवविहान
यह नवविधान
नवसंवत्सर ले कर आया
नवरूप प्रकृति ने फिर पाया
हम आदि शक्ति का ध्यान करें
नौ दिन मां का गुणगान करें
हो नवल गान
नूतन आह्वान
आशा का स्वर मन को भाया
नवरूप प्रकृति ने फिर पाया
सुख-शांति सदा संचारित हो
परहित प्रति शब्द प्रसारित हो
सब एक प्राण
सब एक जान
भारत की हरी-भरी काया
नवरूप प्रकृति ने फिर पाया
उठ जाति-धर्म से अब ऊपर
मानवता जागे धरती पर
हो सबका मान
हम लें ये ठान
नववर्ष संदेशा यह लाया
नवरूप प्रकृति ने फिर पाया
- डॉ. वर्षा सिंह
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