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गुरुवार, सितंबर 02, 2010

शायरी मेरी सहेली की तरह

- वर्षा सिंह

शायरी  मेरी  सहेली  की तरह।
मेंहदी  वाली  हथेली  की तरह।

हर्फ की परतों में खुलती जा रही
ज़िन्दगी जो थी पहेली की तरह।

मेरे सिरहाने में तक़िया ख़्वाब का
नींद   आती  है   नवेली  की तरह।

आग की सतरें पिघल कर सांस में
फिर महकती है चमेली की तरह।

ये  मेरा  दीवान  ‘वर्षा’  - धूप  का
रोशनी की  इक  हवेली  की तरह।

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