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रविवार, मार्च 21, 2021

धरती के गीत | गीत | विश्व कविता दिवस | 21 मार्च | डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

प्रिय ब्लॉग पाठकों, विश्व कविता दिवस, 21 मार्च की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
विश्व कविता दिवस पर प्रस्तुत है मेरा एक गीत-

धरती के गीत
                    -डॉ. वर्षा सिंह

आज चलो गाएं ज़रा, धरती के गीत।।
          धरती के गीत, धरती के गीत।।

गीत प्रतिबंधों के, गीत अनुबंधों के
गीत संबंधों के, गीत रसगंधों के
आज चलो गाएं ज़रा, धरती के गीत।।
           धरती के गीत,धरती के गीत ।।

अलसाई रात के, अंगड़ाती भोर के
नदिया के पानी में,उठती हिलोर के
शरमाते चंदा के, रंगराते सूरज के
अम्बर में उड़ते पंछियों के शोर केे

गीत कुछ उपवन के, गीत कुछ मधुबन के
गीत कुछ देहरी के, गीत कुछ आंगन के
आज चलो गाएं ज़रा,धरती के गीत।।
          धरती के गीत,धरती के गीत ।।

किशोरी झरबेरी के, बूढ़े बबूल के
हवाओं में झूलते बरगद के मूल के
बांस के, कपास के,युवा अमलतास के,
अरहर के, मेथी के, इमली के फूल के

गीत कुछ तरुवर के, गीत गुलमोहर के
गीत कुछ पतझर के, गीत कुछ अंकुर के
आज चलो गाएं ज़रा, धरती के गीत।।
           धरती के गीत,धरती के गीत।।

लहराते सागर के, नैया के, पाल के
खेत - खलिहान के, पगडंडी, चौपाल के,
बादल के, “वर्षा” के, गागर के, निर्झर के,
तृप्ति के, प्यास के, धूल के, गुलाल के,

गीत बौछार के, गीत कुछ प्यार के
गीत त्यौहार के, गीत अभिसार के
आज चलो गाएं ज़रा, धरती के गीत ।।
           धरती के गीत,धरती के गीत ।।

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28 टिप्‍पणियां:

  1. वाह वर्षा जी, जीवन के सभी पक्षों पर विहंगमता से दृष्टिपात करते सुंदर, भावपूर्ण गीत के लिए हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 🙏🙏

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  2. बहुत सुन्दर गीत।
    विश्व कविता दिवस पर मनोभावों की गहन अभिव्यक्ति।

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    1. आदरणीय शास्त्री जी,
      आपने सराहा तो गीत सार्थक हो गया।
      हार्दिक आभार 🙏
      सादर,
      डॉ. वर्षा सिंह

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  3. धरती के गीत !
    बहुत ही लाजवाब मनभावन सृजन
    वाह!!!

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    उत्तर
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया सुधा जी 🙏

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  4. अहा ! आज तो पूर्ण रूप से प्रकृति से मिलवा दिया आपने ... सुन्दर गीत रचना ...

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    उत्तर
    1. आपकी इस स्नेहिल टिप्पणी ने मन विभोर कर दिया.... बहुत धन्यवाद हृदयतल की गहराइयों से आदरणीया 🙏

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  5. सुंदर प्राकृतिक छटा बिखेरती,कविता को परिभाषित करती खूबसूरत कृति ।

    जवाब देंहटाएं
  6. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 26-03-2021) को
    "वासन्ती परिधान पहनकर, खिलता फागुन आया" (चर्चा अंक- 4017)
    पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    धन्यवाद.


    "मीना भारद्वाज"

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार प्रिय मीना जी 🙏

      चर्चा मंच में चयनित हो कर अनेक सुधी पाठकों तक पहुंच सकेगी मेरी यह रचना...
      पुनः आभार आपका 🙏

      हटाएं
  7. सृष्टि की हर लय में, हर स्पन्दन में गूंजते गीतों का स्रोत!

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    उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा सक्सेना जी 🙏

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  8. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। सम्पूर्ण जगत गीत मय संगीत मय।

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    उत्तर
    1. आदरणीय, आपकी ऊर्जावान टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद 🙏

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  9. बहुत ही सुन्दर सृजन - - साधुवाद सह।

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    उत्तर
    1. आपके द्वारा मिली सराहना से मेरे इस गीत को सार्थकता मिल गई....।

      बहुत आभार आपका आदरणीय 🙏

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  10. बहुत ही सुन्दर मधुर गीत | शब्द शब्द में जैसे घूँघरू बँधे हों |बहुत सराहनीय रचना |

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी सराहना भरी टिप्पणी ने मेरे गीत को सार्थक बना दिया....

      बहुत धन्यवाद आदरणीय 🙏

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  11. बहुत सुंदर गीत सृजन। मन को छू लेने वाले धरती के गीत के लिए आपको बधाईयाँ और शुभकामनाएँ।

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    उत्तर
    1. बहुत आभार आपका आदरणीय वीरेंद्र सिंह जी🙏

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  12. बहुत ही उत्कृष्ट रचना...धरती के गीत में समाई पूरी की पूरी प्रकृत‍ि ..वाह
    अलसाई रात के, अंगड़ाती भोर के
    नदिया के पानी में,उठती हिलोर के
    शरमाते चंदा के, रंगराते सूरज के
    अम्बर में उड़ते पंछियों के शोर केे...अद्भुत डा. वर्षा जी

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    उत्तर
    1. आपके द्वारा मिली सराहना से मेरे इस गीत को सार्थकता मिल गई....।

      बहुत आभार आपका अलकनंदा जी🙏

      हटाएं
  13. अति सुन्दर एवं मनभावन कृति के लिए हार्दिक आभार और शुभकामनाएँ ।

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  14. वाह ! बहुत सुंदर धरती गीत..
    बेहतरीन...
    लाजवाब...

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    1. हार्दिक धन्यवाद प्रिय बहन डॉ. सुश्री शरद सिंह 🙏

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