प्रिय ब्लॉग पाठकों, विश्व कविता दिवस, 21 मार्च की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
विश्व कविता दिवस पर प्रस्तुत है मेरा एक गीत-
धरती के गीत
-डॉ. वर्षा सिंह
आज चलो गाएं ज़रा, धरती के गीत।।
धरती के गीत, धरती के गीत।।
गीत प्रतिबंधों के, गीत अनुबंधों के
गीत संबंधों के, गीत रसगंधों के
आज चलो गाएं ज़रा, धरती के गीत।।
धरती के गीत,धरती के गीत ।।
अलसाई रात के, अंगड़ाती भोर के
नदिया के पानी में,उठती हिलोर के
शरमाते चंदा के, रंगराते सूरज के
अम्बर में उड़ते पंछियों के शोर केे
गीत कुछ उपवन के, गीत कुछ मधुबन के
गीत कुछ देहरी के, गीत कुछ आंगन के
आज चलो गाएं ज़रा,धरती के गीत।।
धरती के गीत,धरती के गीत ।।
किशोरी झरबेरी के, बूढ़े बबूल के
हवाओं में झूलते बरगद के मूल के
बांस के, कपास के,युवा अमलतास के,
अरहर के, मेथी के, इमली के फूल के
गीत कुछ तरुवर के, गीत गुलमोहर के
गीत कुछ पतझर के, गीत कुछ अंकुर के
आज चलो गाएं ज़रा, धरती के गीत।।
धरती के गीत,धरती के गीत।।
लहराते सागर के, नैया के, पाल के
खेत - खलिहान के, पगडंडी, चौपाल के,
बादल के, “वर्षा” के, गागर के, निर्झर के,
तृप्ति के, प्यास के, धूल के, गुलाल के,
गीत बौछार के, गीत कुछ प्यार के
गीत त्यौहार के, गीत अभिसार के
आज चलो गाएं ज़रा, धरती के गीत ।।
धरती के गीत,धरती के गीत ।।
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वाह वर्षा जी, जीवन के सभी पक्षों पर विहंगमता से दृष्टिपात करते सुंदर, भावपूर्ण गीत के लिए हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद रेणु जी 🙏
हटाएंबहुत सुन्दर गीत।
जवाब देंहटाएंविश्व कविता दिवस पर मनोभावों की गहन अभिव्यक्ति।
आदरणीय शास्त्री जी,
हटाएंआपने सराहा तो गीत सार्थक हो गया।
हार्दिक आभार 🙏
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
धरती के गीत !
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब मनभावन सृजन
वाह!!!
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया सुधा जी 🙏
हटाएंअहा ! आज तो पूर्ण रूप से प्रकृति से मिलवा दिया आपने ... सुन्दर गीत रचना ...
जवाब देंहटाएंआपकी इस स्नेहिल टिप्पणी ने मन विभोर कर दिया.... बहुत धन्यवाद हृदयतल की गहराइयों से आदरणीया 🙏
हटाएंसुंदर प्राकृतिक छटा बिखेरती,कविता को परिभाषित करती खूबसूरत कृति ।
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद प्रिय जिज्ञासा जी 🙏
हटाएंसादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 26-03-2021) को
"वासन्ती परिधान पहनकर, खिलता फागुन आया" (चर्चा अंक- 4017) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद.
…
"मीना भारद्वाज"
बहुत बहुत आभार प्रिय मीना जी 🙏
हटाएंचर्चा मंच में चयनित हो कर अनेक सुधी पाठकों तक पहुंच सकेगी मेरी यह रचना...
पुनः आभार आपका 🙏
सृष्टि की हर लय में, हर स्पन्दन में गूंजते गीतों का स्रोत!
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा सक्सेना जी 🙏
हटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति। सम्पूर्ण जगत गीत मय संगीत मय।
जवाब देंहटाएंआदरणीय, आपकी ऊर्जावान टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद 🙏
हटाएंबहुत ही सुन्दर सृजन - - साधुवाद सह।
जवाब देंहटाएंआपके द्वारा मिली सराहना से मेरे इस गीत को सार्थकता मिल गई....।
हटाएंबहुत आभार आपका आदरणीय 🙏
बहुत ही सुन्दर मधुर गीत | शब्द शब्द में जैसे घूँघरू बँधे हों |बहुत सराहनीय रचना |
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना भरी टिप्पणी ने मेरे गीत को सार्थक बना दिया....
हटाएंबहुत धन्यवाद आदरणीय 🙏
बहुत सुंदर गीत सृजन। मन को छू लेने वाले धरती के गीत के लिए आपको बधाईयाँ और शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका आदरणीय वीरेंद्र सिंह जी🙏
हटाएंबहुत ही उत्कृष्ट रचना...धरती के गीत में समाई पूरी की पूरी प्रकृति ..वाह
जवाब देंहटाएंअलसाई रात के, अंगड़ाती भोर के
नदिया के पानी में,उठती हिलोर के
शरमाते चंदा के, रंगराते सूरज के
अम्बर में उड़ते पंछियों के शोर केे...अद्भुत डा. वर्षा जी
आपके द्वारा मिली सराहना से मेरे इस गीत को सार्थकता मिल गई....।
हटाएंबहुत आभार आपका अलकनंदा जी🙏
अति सुन्दर एवं मनभावन कृति के लिए हार्दिक आभार और शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद अमृता तन्मय जी 🙏
हटाएंवाह ! बहुत सुंदर धरती गीत..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन...
लाजवाब...
हार्दिक धन्यवाद प्रिय बहन डॉ. सुश्री शरद सिंह 🙏
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