Dr. Varsha Singh with her mother Dr. Vidyawati 'Malvika' |
दस दोहे वृद्धजन पर
- डॉ वर्षा सिंह
वृद्धों की सेवा करें, वृद्धों का सम्मान ।
उनके आशीर्वाद से, मिलता हमको मान ।।
बड़े-बुज़ुर्गों के लिए, रखिए निर्मल भाव ।
जीवन के हर मोड़ पर, दिखता सुखद प्रभाव ।।
ऐसे भी हैं वृद्धजन, जग में जो असहाय ।
उनसे नाता जोड़ कर, उनके बनें सहाय ।।
याद रखें जो हैं युवा, आयुवृद्धि अनिवार्य ।
कर पाएंगे वृद्ध हो, तिरस्कार स्वीकार्य ?
दर्पण को रख सामने, देखें ख़ुद का अक़्स ।
जो भीतर है क्या वही, बाहर भी है शख़्स ?
बड़े-बुज़ुर्गों के लिए, मन में श्रद्धाभाव ।
कभी न उनसे कीजिए, जीवनभर अलगाव ।।
वृद्धावस्था रुग्णता, कर देती लाचार।
किन्तु नम्र व्यवहार से, दें उनको उपहार।।
सहज न कलियुग में मिलें, ऐसे श्रवणकुमार ।
मातु-पिता हित हेतु जो, त्यागें सुख-संसार ।।
करुणा, मानवता, दया, आदर औ' सत्कार ।
पाई मानव देह तो, मुक्तहस्त उपकार ।।
अपने हों या ग़ैर हों, करिए सदा प्रणाम ।
मातु-पिता-चरणों तले, "वर्षा" चारों धाम ।।
-------------------------
बहुत ही सारगर्भित एवं संदेश पूर्ण दोहे..
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद प्रिय जिज्ञासा जी 🙏
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (10-02-2021) को "बढ़ो प्रणय की राह" (चर्चा अंक- 3973) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
--
हार्दिक आभार आदरणीय 🙏
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं"बड़े-बुज़ुर्गों के लिए, मन में श्रद्धा लाएं ।
जवाब देंहटाएंकाम बिगड़ते तब बनें, शुभाशीष जब पाएं ।।
वृद्धावस्था रुग्णता जैसे कष्ट दिलाए ।
किन्तु नम्र व्यवहार से, हंसी-ख़ुशी कट जाए ।। "
--
ये दो दोहे दोहे की परिधि से इतर हैं.
--
यदि इस प्रकार से कर देंगे तो अच्छा रहेगा-
बड़े-बुज़ुर्गों के लिए, मन में श्रद्धाभाव ।
कभी न उनसे कीजिए, जीवनभर अलगाव ।।
वृद्धावस्था रुग्णता, कर देती लाचार।
किन्तु नम्र व्यवहार से, दो उनको उपहार।।
हार्दिक आभार आदरणीय 🙏
हटाएंकरुणा, मानवता, दया, आदर औ' सत्कार ।
जवाब देंहटाएंपाई मानव देह तो, मुक्तहस्त उपकार ।।
सुंदर दोहे...
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय विकास नैनवाल 'अंजान' जी 🙏
हटाएंभाषा सरल और सीख अनमोल ! अभिनंदन आपका वर्षा जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय जितेन्द्र माथुर जी 🙏
हटाएंबहुत ही सुंदर सृजन आदरणीय दी।
जवाब देंहटाएंसादर
दिली शुक्रिया प्रिय अनीता जी 🙏
हटाएंसुंदर नीति के दोहे सुंदर संदेश देते उद्गार ।
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन।
आदरणीया आपकी इस आत्मीयतापूर्ण टिप्पणी के लिए सादर धन्यवाद 🙏
हटाएं