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बुधवार, नवंबर 06, 2019

"शख़्सियत" में मैं यानी डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

    जांजगीर, छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय एवं प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र "नवीन क़दम" में प्रकाशित होने वाले कॉलम "शख़्सियत" आज मेरे व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केंद्रित है। आभारी हूं "नवीन क़दम"की।

"नवीन क़दम", दिनांक 06.11.2019 का अंक


इसे वेबसाइट  https://navinkadam.com/?p=6992 पर भी पढ़ा जा सकता है.....







शख्सियत : डॉ. वर्षा सिंह, देश की प्रतिष्ठित कवयित्री एवं गज़लकार


देश की प्रतिष्ठित कवयित्री एवं ग़ज़लकार डॉ. वर्षा सिंह कोई परिचय की मोहताज नहीं हैं। इन्होंने एमएससी (वनस्पति शास्त्र), बीएड तथा डॉक्टर ऑफ होम्योपैथी एण्ड मेडिसिन की उपाधि प्राप्त की है। वर्तमान में ये मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी लिमिटेड में अतिरिक्त कार्यालय सहायक श्रेणी-एक के पद पर कार्यरत हैं। डॉ. वर्षा सिंह के अब तक 5 ग़ज़ल संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं, जिनके नाम ‘सर्वहारा के लिए’, ‘वक़्त पढ़ रहा है’, ‘हम जहां पर हैं’, ‘सच तो ये है’  और ‘दिल बंजारा’ है। इनकी एक आलोचना पुस्तक – ‘हिन्दी ग़ज़ल : ‘दशा और दिशा’ तथा नवसाक्षरों के लिए दो पुस्तकें- ‘पानी है अनमोल’ तथा ‘कामकाजी महिलाओं के सुरक्षा अधिकार’ प्रकाशित हो चुकी है। साथ ही पचास से अधिक समवेत ग़ज़ल संकलनों में ग़ज़लें संकलित हैं।
दैनिक नवीन कदम से विशेष बातचीत के दौरान डॉ. वर्षा सिंह ने बताया कि इन दिनों इनका कॉलम ‘सागर : साहित्य एवं चिंतन’ दैनिक ‘आचरण’ में तथा ‘साहित्य वर्षा’ साप्ताहिक सागर झील में प्रकाशित हो रहा है। आगे बताया कि वे जबलपुर से प्रकाशित अनियतकालीन साहित्यिक पत्रिका ‘परिवर्तन‘ का कार्यकारी संपादन कर चुकी हैं तथा मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मण्डल हिन्दी परिषद् (बीना इकाई) की पत्रिका ‘विद्युत पुष्प’ का अतिथि संपादक रह चुकी हैं। इनकी रचनाओं का दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के भोपाल, छतरपुर, सागर केन्द्रों से नियमित प्रसारण होता रहता है तथा वे अनेक अकादमिक साहित्यिक मंचों एवं कवि सम्मेलनों में काव्य पाठ करती रहती हैं।

चर्चा में आगे बताया कि साहित्य सेवा के लिए इन्हें देश के अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाज़ा गया है, जिनमें मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन सागर द्वारा ‘सुधारानी डालचंद जैन’ सम्मान, बुंदेली लोककला संस्थान झांसी (उत्तरप्रदेश) द्वारा ‘गुरदी देवी स्मृति सम्मान’, केन्द्रीय हिन्दी परिषद् मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मण्डल जबलपुर द्वारा ‘विशिष्ट हिन्दी सेवी सम्मान’,  केन्द्रीय हिन्दी परिषद् पाथेय संस्था जबलपुर द्वारा ‘हिन्दी सेवी सम्मान’, प्रगतिशील लेखक संध, पन्ना द्वारा ‘सृजनधर्मी सम्मान’, हिन्दी परिषद् (बीना शाखा) मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मण्डल बीना द्वारा ‘हिन्दी शिरोमणि’ सम्मान’,  राजभाषा परिषद् भारतीय स्टेट बैंक सागर शाखा द्वारा  ‘उत्कृष्ट साहित्य सृजनकर्ता सम्मान’, जनपरिषद् भोपाल द्वारा ‘लीडिंग लेडी ऑफ मध्यप्रदेश’ सम्मान, सागर नगर विधायक शैलेन्द्र जैन द्वारा  ‘शक्ति सम्मान’, पत्रिका समाचारपत्र एवं सेंट्रल हीरो सागर द्वारा ‘नारी सशक्तिकरण सम्मान’, हिन्दी लेखिका संघ दमोह द्वारा ‘विशिष्ट हिन्दी सेवी सम्मान’, हिन्दी लेखिका संघ सागर द्वारा ‘विशिष्ट हिन्दी सेवी सम्मान’, दैनिक भास्कर एवं राहगीरी सोशल ग्रुप सागर द्वारा ‘विशिष्ट अतिथि सम्मान’, सागर साहित्य एवं सामाजिक सम्मान समारोह 2013  सागर द्वारा  ‘विशिष्ट हिन्दी सेवी सम्मान’, रोटरी क्लब सागर सेंट्रल सागर द्वारा ‘क्षमावाणी महापर्व सौजन्य सम्मान’, क्षत्रिय समाज सागर द्वारा ‘विशिष्ट सम्मान’,  श्रीमंत सेठ दादा डालचंद जैन की स्मृति में ‘प्रतिभा सम्मान 2018’ एवं सागर टीवी न्यूज द्वारा ‘एक्सीलेंस अवार्ड फॉर क्रिएटर्स 2018’ प्रमुख हैं।
डॉ. वर्षा सिंह ने आगे बताया कि वे गीत, ग़ज़ल, दोहा, अतुकांत कविता साथ ही आलोचना एवं समीक्षा लेख, चिंतन आलेख, ललित  निबंध आदि भी लिखती हैं। इन्होंने बुंदेली में भी पद्य रचनाएं लिखी हैं। उन्होंने कहा कि यूं तो पिछले अनेक वर्ष से मैं हिंदी गजल लिख रही हूं। अभी तक मेरे 5 हिंदी गजल संग्रह प्रकाशित भी हो चुके हैं, किंतु आजीविका की व्यस्तता के चलते नये संग्रह के प्रकाशन में व्यवधान आया, लेकिन लेखन ज़ारी रहा। सोशल मीडिया पर भी सतत रूप से मैं अपनी गजलों देती रही हूं। मेरी ग़ज़लें पर ख्यातनाम समीक्षकों ने समय-समय पर टिप्पणियां की हैं। 

मेरी ग़ज़ल पर टिप्पणी करते हुए कवि एवं साहित्यकार अनिल प्रभाकर कहते हैं कि जनपक्षधरता वर्षा सिंह की खास पहचान है। शायरा का अनुभवसंसार भी व्यापक है, इसलिए इनकी ग़ज़लें सिर्फ आधी आबादी तक ही सीमित नहीं है बल्कि, पूरा समाज है इनकी ग़ज़लों में, पूरी दुनिया और पूरा आसमान है इनकी ग़ज़लों में। नरेंद्र कुमार सिंह ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि  वर्षा सिंह हिंदी गजल विधा की एक चर्चित हस्ताक्षर है और इन दिनों काफी अच्छी हिंदी ग़ज़लें लिख ही नहीं रही हैं। बल्कि, पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से छप भी रही हैं। वर्षा सिंह की प्रत्येक गजल आज की परिस्थिति को यथार्थवादिता के साथ प्रदर्शित करने में सक्षम है। इसी क्रम में ऋषभ देव शर्मा ने अपनी टिप्पणी करते हुए कहा है कि वर्षा सिंह समकालीन हिंदी गजल के क्षेत्र में तेजी से उभरा हुआ हस्ताक्षर हैं। उन्होंने वस्तु और शैली दोनों ही स्तरों पर गजल को समृद्ध बनाया है तथा दुष्यंत कुमार की परंपरा में नई ग़ज़ल भाषा इजाद करने वाली कवयित्री के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त की है। डॉ. वर्षा सिंह का कहना है कि अपने ग़ज़ल लेखन पर उनके खुद के विचार भी हैं, जिसके मुताबिक, हिंदी पद्य साहित्य की एक अनन्यतम मनोहारी छवि वाली विधा बन कर उभरी। इस हिंदी गजल की विधा को अपनाकर मुझे बेहद आत्मसंतोष मिला और लगातार संघर्षरत जीवन जीते हुए चिंतन एवं संवेदनाओं के गहरे तालमेल से जन्मे अपने विचारों को मैंने हिंदी ग़ज़ल के माध्यम से अभिव्यक्त किया है। इनका मानना है कि पूरी निष्ठा और शिद्दत से कोई भी काम करें तो निश्चित तौर पर कामयाबी मिलती है।
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