Dr. Varsha Singh |
मां से बढ़ कर कौन जगत में !
- डॉ. वर्षा सिंह
- डॉ. वर्षा सिंह
जब -जब मन बेचैन हुआ है।
तब -तब मां को याद किया है।
तब -तब मां को याद किया है।
मां ने सबको अमृत बांटा,
खुद चुपके से ज़हर पिया है।
खुद चुपके से ज़हर पिया है।
जीवन की दुर्गम राहों में,
मां की हरदम मिली दुआ है।
मां की हरदम मिली दुआ है।
मां से बढ़ कर कौन जगत में !
ईश्वर मां से नहीं बड़ा है।
ईश्वर मां से नहीं बड़ा है।
ममता की "वर्षा" करती मां,
मां का आंचल सदा भरा है।
मां का आंचल सदा भरा है।
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