कथाओं के पंख होते हैं
उड़ती फिरती हैं
ध्रुवों से भूमध्य रेखा तक
उत्तरी से दक्षिणी गोलार्ध तक ...
पूरी पृथ्वी पर
समयबंधन मुक्त
आदिकाल से अनादिकाल तक
उड़ती फिरती हैं कथायें.
ईश्वर ने बनाया हमें नश्वर
लेकिन हमने बनायी कथायें अनश्वर
जीव, मनुष्य, वनस्पति, पृथ्वी, अंतरिक्ष
और तो और
ईश्वर की कथायें अनश्वर
... और लगा दिये उनमें पंख
तभी तो
समयबंधन मुक्त
आदिकाल से अनादिकाल तक
उड़ती फिरती हैं कथायें
कथाओं के पंख होते हैं.
- डॉ. वर्षा सिंह
बहुत सुन्दर ! कथाएँ समय और देश की सीमाओं में बांधी नहीं जा सकतीं. ये तो कस्तूरी जैसी होती हैं, चहुँ-दिस अपनी सुगंध फैलाती हुई.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सही वर्षा जी कथाऐं कब सीमा में बंधी है बस अपनी लय में उड़ उड़ देश प्रदेश पहुंच जाती है ।
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना।