Varsha Singh
कवयित्री / शायरा डॉ. वर्षा सिंह
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शुक्रवार, दिसंबर 28, 2018
चाहत जब आहत होती है - डॉ. वर्षा सिंह
पत्ते शाख से टूट कर गिरे
आंसू आंख से रूठ कर गिरे
उठा तो सिर्फ़ ...और सिर्फ़
धुआं मेरे जलते हुए दिल से
चाहत, जब आहत होती है
हां, तब कुछ ऐसा ही होता है.
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