बेबसी में ज़िन्दगानी
बोतलों में बंद पानी
काटना होगा जो बोया
है यही चिंता पुरानी
नीर के स्त्रोतों से कब तक
और होगी छेड़खानी
कल धरा का रूप क्या हो !
दिख रही जो आज धानी
गर नहीं सत्ता रहेगी
कौन राजा, कौन रानी !
क्या किया, सोचो कभी तो
गुम कुंआ, नदिया सुखानी
काटना होगा जो बोया
रीत दुनिया की पुरानी
रह न जाये याद बन कर
बूंद-"वर्षा" की कहानी
- डॉ. वर्षा सिंह
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