कवयित्री / शायरा डॉ. वर्षा सिंह
इसीलिये सूरज डूबा है कल फिर नया सबेरा हो । ख़्वाब अधूरा रहे न कोई तेरा हो या मेरा हो । - डॉ. वर्षा सिंह
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