कवयित्री / शायरा डॉ. वर्षा सिंह
कुण्ठा का तम घेर न पाये मुक्त उजाला रहे सदा, "वर्षा" रोशन रहे हर इक पल कोसों दूर अंधेरा हो । 💕- डॉ. वर्षा सिंह
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