पेज

शनिवार, जनवरी 06, 2018

अनगढ़ सी कथा नई - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh
शब्दों की आड़ में
छिपे हुए शब्द कई

गढ़ते हैं प्यार की
अनगढ़ सी कथा नई

सपनों से राह जुड़ी
अपनों से दूर हुई

बचपन की सोनपरी
जाने अब कहां गई


इंतज़ार की घड़ियां
स्थिर सी लगती सुई

कलियां उम्मीद की
रह जातीं बिना छुई


मन हुआ कपासी तो
दूर - दूर उड़ी रुई

यहां मगर आंखों से
आंसू की बूंद चुई
 
 - डॉ वर्षा सिंह

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें