Varsha Singh
कवयित्री / शायरा डॉ. वर्षा सिंह
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सोमवार, अगस्त 21, 2017
और इश्क़...
आहटों के भी
नाम हुआ करते हैं
इशारों के भी
रंग हुआ करते हैं
ज़िन्दगी की भी
बोली हुआ करती है
और इश्क़...
उसका न कोई नाम होता
न रंग
न बोली
वह होता है अगर कुछ
...तो सिर्फ एक पहेली.
- डॉ वर्षा सिंह
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