कवयित्री / शायरा डॉ. वर्षा सिंह
कभी सोते हुए कभी जागते हुए अचानक, अप्रयास सामने आ जाती हैं बीते हुए दिनों की कतरनें यादों के ठिकाने पता नहीं कहां- कहां होते हैं
- डॉ वर्षा सिंह
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