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रविवार, जुलाई 09, 2017

वर्षा गीत

वर्षा का गीत
                - डॉ. वर्षा सिंह

गरमी के झुलसाते दिन तो गए बीत
मौसम ने  गाया है  वर्षा का गीत
       वर्षा का गीत, वर्षा का गीत।

कितना भी सूखे ने  कहर यहां ढाया
अब तो है कजरारे  बादल की छाया
रिमझिम से सजती है पौधों की काया
इसको ही कहते हैं ऋतुओं की माया
दुनिया ये न्यारी है
परिवर्तन जारी है
दुख के हज़ार दंश
एक खुशी भारी है
रहती हर  हार  में  छुपी हुई जीत
मौसम ने  गाया है  वर्षा का गीत
     वर्षा का गीत, वर्षा का गीत।

गूंथ रहा मनवा भी सपनों की माला
पुरवा ने लहरा कर  जादू ये डाला
भीगी-सी रागिनी, स्वर में मधुशाला
हृदय के  भावों को  छंदों में ढाला
बारिश की लगी झड़ी
सरगम की जुड़ी कड़ी
दिल तो है छोटा-सा
मचल रही  चाह बड़ी
राग है मल्हार और प्यार का संगीत
मौसम ने  गाया है  वर्षा का गीत
      वर्षा का गीत, वर्षा का गीत।

गांव में निराशा के आशा का डेरा
जागी उम्मीदों ने जी भर कर टेरा
रिमझिम फुहारों से खेलता सवेरा
सबका है सबकुछ ही, क्या तेरा-मेरा
बूंद की  अठखेली में
तृप्ति की   पहेली में
लहरों की चहल-पहल
नदी   अलबेली   में
खुशबू बन चहक रही ओर-छोर प्रीत
मौसम ने  गाया है  वर्षा का गीत
      वर्षा का गीत, वर्षा का गीत।

पड़ती हैं  धरती   पर  पावसी फुहारें
गली-गली बरस  रहीं अमृत की धारें
मेघों से  करती  है  बिजली  मनुहारें
टूट रहीं जल-थल के बीच की दीवारें
बिखरी हरियाली है
छायी खुशहाली है
फूलों के बंधन में
बंधती हर डाली है
पाया है ‘‘वर्षा’’  ने  अपना मनमीत
मौसम ने  गाया है  वर्षा का गीत
     वर्षा का गीत, वर्षा का गीत।
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2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुंदर गीत, शुभकामनाएं.
    रामराम
    #हिन्दी_ब्लॉगिंग

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (11-07-2017) को चर्चामंच 2663 ; दोहे "जय हो देव सुरेश" पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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