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सोमवार, जुलाई 31, 2017

ये बारिशों का मौसम - 2

सावन  का  ये  महीना ।
मुश्किल हुआ है जीना ।
ये बारिशों का मौसम ,
लागे कहीं भी जी ना ।
- डॉ वर्षा सिंह

ये बारिशों का मौसम -1

ये बारिशों का मौसम
है ख़्वाहिशों का मौसम
रूठों को मनाने की
कुछ कोशिशों का मौसम
- डॉ वर्षा सिंह

बुधवार, जुलाई 19, 2017

भूल गये गांव.....

शहरी  हंगामें  में भूल  गये  गांव।
पनघट, चौबारे और पीपल की छांव।
बात-बात बिछती शतरंजी बिसात,
क़दम-क़दम चालें है, क़दम- क़दम दांव ।
         🍀 - डॉ वर्षा सिंह

Sagar Rahgiri

Organized by Dainik Bhaskar News paper & Rajguru Social Group, Sagar
Cheif Guest Me Dr Varsha Singh.

सोमवार, जुलाई 17, 2017

Rahgiri राहगीरी

सागर राहगीरी में मैं डॉ वर्षा सिंह

बुधवार, जुलाई 12, 2017

बारिश

अब तक तो बिताई थी तन्हाई में बारिश।
अब की दफा है बरसी शहनाई में बारिश ।
साजन हैं पास मेरे,  दिल भी है ख़ुश मेरा,
बीतेगी अब की बार तो पुरवाई में बारिश ।
         🍁 - डॉ वर्षा सिंह

रविवार, जुलाई 09, 2017

वर्षा गीत

वर्षा का गीत
                - डॉ. वर्षा सिंह

गरमी के झुलसाते दिन तो गए बीत
मौसम ने  गाया है  वर्षा का गीत
       वर्षा का गीत, वर्षा का गीत।

कितना भी सूखे ने  कहर यहां ढाया
अब तो है कजरारे  बादल की छाया
रिमझिम से सजती है पौधों की काया
इसको ही कहते हैं ऋतुओं की माया
दुनिया ये न्यारी है
परिवर्तन जारी है
दुख के हज़ार दंश
एक खुशी भारी है
रहती हर  हार  में  छुपी हुई जीत
मौसम ने  गाया है  वर्षा का गीत
     वर्षा का गीत, वर्षा का गीत।

गूंथ रहा मनवा भी सपनों की माला
पुरवा ने लहरा कर  जादू ये डाला
भीगी-सी रागिनी, स्वर में मधुशाला
हृदय के  भावों को  छंदों में ढाला
बारिश की लगी झड़ी
सरगम की जुड़ी कड़ी
दिल तो है छोटा-सा
मचल रही  चाह बड़ी
राग है मल्हार और प्यार का संगीत
मौसम ने  गाया है  वर्षा का गीत
      वर्षा का गीत, वर्षा का गीत।

गांव में निराशा के आशा का डेरा
जागी उम्मीदों ने जी भर कर टेरा
रिमझिम फुहारों से खेलता सवेरा
सबका है सबकुछ ही, क्या तेरा-मेरा
बूंद की  अठखेली में
तृप्ति की   पहेली में
लहरों की चहल-पहल
नदी   अलबेली   में
खुशबू बन चहक रही ओर-छोर प्रीत
मौसम ने  गाया है  वर्षा का गीत
      वर्षा का गीत, वर्षा का गीत।

पड़ती हैं  धरती   पर  पावसी फुहारें
गली-गली बरस  रहीं अमृत की धारें
मेघों से  करती  है  बिजली  मनुहारें
टूट रहीं जल-थल के बीच की दीवारें
बिखरी हरियाली है
छायी खुशहाली है
फूलों के बंधन में
बंधती हर डाली है
पाया है ‘‘वर्षा’’  ने  अपना मनमीत
मौसम ने  गाया है  वर्षा का गीत
     वर्षा का गीत, वर्षा का गीत।
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