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रविवार, सितंबर 12, 2010

फड़फड़ा कर पंख उड़ते पल

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर रचना,,,फडफडा के पंख पल उड़ता ..वाह ..पल को सारस की उपमा

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  2. धन्यवाद डॉ. नूतन‘अमृता’ जी!

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  3. fir ek pyare geet k liye badhai......isi tarah varsha hoti rahe.

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  4. गिरीश जी, आप इसी तरह हौसला बढ़ाते रहेंगे तो गीत-ग़ज़ल की वर्षा होती रहेगी।

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