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Dr. Varsha Singh |
चांद से पूछो..
चांद से पूछो कभी क्यों मौन हो
दूर रह कर पास दिखते कौन हो
प्रश्न का उत्तर न यदि तुम पा सको
तो धरा की आंख में झांको ज़रा
आज तक बदला नहीं कुछ भी वहां
चांद का सदियों से इक- सा चेहरा
जो लुभाता है, बुलाता है पास अपने
देखते हैं हम उसीके रोज़ सपने