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शनिवार, अगस्त 31, 2019

❤ Thanks for Birthday Wishes ❤

बहुत- बहुत हार्दिक धन्यवाद, तहेदिल से शुक्रिया & Hearty Thanks मेरे सभी मित्रों एवं शुभचिंतकों को ❤
जिन्होंने मेरे जन्मदिन 29 अगस्त 2019 को मुझे अपनी शुभेच्छाओं, शुभकामनाओं का अमूल्य उपहार दे कर  Very Special बना दिया 🙏



Hearty Thanks to All My Friends & Well Wishers ....
Who made
My Birthday 29 Aug. 2019
Very Special

गुरुवार, अगस्त 22, 2019

गुरुवार, अगस्त 15, 2019

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.... आज़ादी के गीत - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

       मेरी इस काव्य रचना को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 15 अगस्त 2019 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=17597

आज़ादी के गीत
                  - डॉ. वर्षा सिंह

आज़ादी  के  गीत  हमेशा  गाएंगे ।
अपना प्यारा परचम हम लहराएंगे ।

संघर्षों के बाद मिली जो आज़ादी ,
उसका हम इतिहास सदा दोहरायेंगे ।

बलिदानों की गाथा को आदर्श बना,
नई राह पर  क़दम बढ़ाते  जाएंगे ।

चांद छू लिया, मंगल तक जा पहुंचेंगें,
अंतरिक्ष को  धरती  पर ले लाएंगे ।

एक देश है भारत, रंग हज़ारों हैं ,
रंग एकता का  "वर्षा"  दिखलाएंगे ।


🌱 वृक्षारोपण...🌿 .... डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

        🌱  वृक्षारोपण...🌿 मेरी साड़ी में भी वृक्ष...🌳 है न मज़ेदार बात !🌴 😊












गुरुवार, अगस्त 08, 2019

गीत... सृजन हमारा - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

       मेरे गीत को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 08 अगस्त 2019 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=17357

गीत

सृजन हमारा ....

                 - डॉ. वर्षा सिंह

जीवन का जब छंद नया बन जाएगा
सृजन हमारा तभी रंग ला पायेगा

भाषा केवल संप्रेषण तक ही नहीं रहे
भावों की सरिता बनकर निर्बाध बहे
रूप, बिंब, संदर्भ, अर्थ सब नूतन हों
शब्द-शब्द विस्तारित हो आल्हाद गहे
 विषय वस्तु और कथ्य नया ले आएगा
सृजन हमारा तभी रंग ला पायेगा

सिर्फ कल्पना ही हावी ना हो पाए
सच के नव आयामों से भी सज जाए
स्वयं बढ़े दृढ़ता से मुश्किल राहों पर
विचलन से बचने का गुर भी सिखलाए
प्रासंगिकता लेकर सबको भायेगा
सृजन हमारा तभी रंग ला पाएगा

मनोराग के साथ बुद्धि का संगम हो प्रगतिशीलता का भी उसमें सरगम हो
अनुभव से वैचारिकता को पुष्टि मिले
लेखन मावस नहीं, वरन् वह पूनम हो
जीवन में नव दृष्टि, नयापन लाएगा
सृजन हमारा तभी रंग ला पाएगा

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#गीतवर्षा

http://yuvapravartak.com/?p=17357