बुधवार, जुलाई 24, 2019

गीत ... शिकायत ज़िन्दगी से है - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

       मेरे गीत को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 24 जुलाई 2019 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=16921

*गीत*

शिकायत ज़िन्दगी से है....

                 - डॉ. वर्षा सिंह

सुबह ताज़ा हवा में झड़ रहे थे फूल पीले से नहीं गुंथ पा रहे थे चोटियों में बाल गीले से

सपन जो रात को देखा खुली आंखों से अक्सर
किसी को हमसफर पाया नई राहों में अक्सर
अजब सी कसमसाहट लग रहे थे बंध ढीले से
नहीं गुंथ पा रहे थे चोटियों में बाल गीले से

शिकायत ज़िन्दगी से है, मगर क्या है न जाने
उदासी की वज़ह क्या है, कोई आए बताने
लिखे थे गीत जिस पर, लग रहे कागज वो सीले से
नहीं गुंथ पा रहे थे चोटियों में बाल गीले से

सवालों की कतारें कम नहीं होती ज़रा भी
 हुई मुश्किल नहीं दिखता जवाबों का सिरा भी
हुए हैं चाहतों के पंख मानो स्याह नीले से

सुबह ताज़ा हवा में झड़ रहे थे फूल पीले से नहीं गुंथ पा रहे थे चोटियों में बाल गीले से
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#गीतवर्षा

गीत... शिकायत ज़िन्दगी से है - डॉ. वर्षा सिंह

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