रविवार, नवंबर 04, 2018

ग़ज़ल ... मिल के दीपावली मनानी है - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

दीपावली की आहट सुनाई दे रही है.... रोशनी का त्योहार दीपावली अंधकार पर प्रकाश की विजय का पर्व है। तमसो मा ज्योतिर्गमय अर्थात् तम से ज्योति की ओर अर्थात अंधेरे से प्रकाश की ओर जाने का संदेश देने वाले इस पर्व पर अनेक शुभ संकल्प लिए जाते हैं, जिन्हें पूर्ण करने का प्रयास किया जाता है। तो कुछ ऐसी ही भावना को व्यक्त करती मेरी ये ग़ज़ल प्रस्तुत है।

हमने दिल में ये आज ठानी है
एक दुनिया नयी बसानी है

जिनके हाथों में क़ैद है क़िस्मत
हर ख़ुशी उनसे छीन लानी है

दिल के सोये हुए चिरागों में
इक नयी रोशनी जगानी है

जंगजूओं की महफ़िलों में हमें
प्यार की इक ग़ज़ल सुनानी है

लाख जौरे- सितम किये जायें
अम्न की आरती सजानी है

हिन्द की सर ज़मीन जन्नत है
इस पे क़ुरबान हर जवानी है

ईद का जश्न हम मनायेंगे
मिल के दीपावली मनानी है

दहशतों से भरा हुआ है चमन
एकता की कली खिलानी है

तआरुफ़ पूछिए न “वर्षा” का
बादलों- बूंद की कहानी है

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