मंगलवार, जून 16, 2015

माटी मेरेे सागर की .... Mati mere Sagar ki ....

Dr Varsha Singh

 पावस के दोहे
               - डाॅ. वर्षा सिंह

मां के आंचल जैसी प्यारी ,  माटी मेरेे सागर की ।
सारे जग से अद्भुत न्यारी,  माटी मेरेे सागर की ।।

भूमि यही वो जहां ‘’गौर’’ ने, दान दिया था शिक्षा का
पाठ पढ़ाया  था  हम सबको,  संस्कार की  कक्षा का
विद्या की यह है फुलवारी , माटी मेरेे सागर की ।।
मां के आंचल जैसी प्यारी.................................

विद्यासागर जैसे  ऋषि-मुनि की   पावनता  पाती है
धर्म, ज्ञान की, स्वाभिमान की अनुपम उज्जवल थाती है
श्रद्धा, क्षमा, त्याग की क्यारी,  माटी मेरेे सागर की ।।
मां के आंचल जैसी प्यारी.................................

‘वर्णी जी’  की तपो भूमि यह, यही भूमि ‘पद्माकर’ की
‘कालीचरण’ शहीद यशस्वी, महिमा  अद्भुत सागर की
सारा जग इस पर बलिहारी, माटी मेरेे सागर की ।।
मां के आंचल जैसी प्यारी.................................

नौरादेही   में   संरक्षित   वन   जीवों  का डेरा है
मैया  हरसिद्धी  का  मंदिर, रानगिरी  का  फेरा  है
आबचंद की गुफा दुलारी,  माटी मेरेे  सागर  की ।।
मां के आंचल जैसी प्यारी.................................

राहतगढ़  की छटा अनूठी ,झर-झर झरती जलधारा
गढ़पहरा,  धामौनी  बिखरा ,  बुंदेली   वैभव  सारा
राजघाट, रमना चितहारी, माटी मेरेे सागर की ।।
मां के आंचल जैसी प्यारी.................................


एरण पुराधाम विष्णु का , सूर्यदेव हैं रहली में
देव बिहारी जी के हाथों सारा जग है मुरली में
पीली कोठी अजब सवारी , माटी मेरेे सागर की ।।
मां के आंचल जैसी प्यारी.................................

मेरा सागर मुझको प्यारा, यहीं हुए लाखा बंजारा
श्रम से अपने झील बना कर, संचित कर दी जल की धारा
‘वर्षा’-बूंदों की किलकारी , माटी मेरेे सागर की ।।
मां के आंचल जैसी प्यारी.................................



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14 टिप्‍पणियां:

  1. शानदार रचना |

    मेरा सागर मुझको प्यारा, यहीं हुए लाखा बंजारा
    श्रम से अपने झील बना कर, संचित कर दी जल की धारा
    ‘वर्षा’-बूंदों की किलकारी , माटी मेरेे सागर की
    मां के आंचल जैसी प्यारी.................................
    शानदार पंक्तियाँ |

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  2. धन्यवाद आशा जी !
    बहुत बहुत आभार.....

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  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 18 - 06 - 2015 को चर्चा मंच पर नंगी क्या नहाएगी और क्या निचोड़ेगी { चर्चा - 2010 } पर दिया जाएगा
    धन्यवाद

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  4. सुन्दर रचना , बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करते हुए , बेहतरीन अभिब्यक्ति , मन को छूने बाली पँक्तियाँ

    कभी इधर भी पधारें

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  5. वाह सागर!
    पहली बार जाना इसकी खूबियों को.

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